श्रीकृष्णजन्माष्टमी PDF
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वरलक्ष्मी पूजा का दिन धन एवं समृद्धि की देवी की पूजा करने हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। भगवान विष्णु की पत्नी वरलक्ष्मी, देवी महालक्ष्मी के रूपों में से एक हैं। देवी वरलक्ष्मी का प्रादुर्भाव क्षीर सागर से हुआ था। देवी वरलक्ष्मी का रँग रूप का वर्णन दूधिया सागर के समान किया गया … Read more
भूमिका वेदों में सबसे अधिक स्तुति पाने वाले देवता कौन हैं? उत्तर है – इंद्र देव। ऋग्वेद में इंद्र के नाम सबसे अधिक मंत्र मिलते हैं। इंद्र को वज्रधारी, मेघों के स्वामी, देवताओं के राजा, और अशुरों के संहारक के रूप में पूजा जाता था। लेकिन आज, जब हम मंदिरों में जाते हैं या त्यौहार … Read more
श्रीमद्देवीभागवत पुराण में नवरात्रि-व्रत का विधान बताया गया है। अमावस्या आने पर नवरात्रि व्रत की सभी शुभ सामग्री एकत्रित कर लें और उस दिन एकभुक्त व्रत करें और हविष्य ग्रहण करें। किसी समतल तथा पवित्र स्थान में 16 हाथ लम्बे-चौड़े और स्तम्भ तथा ध्वजाओं से सुसज्जित मण्डप का निर्माण करना चाहिए। उसको सफेद मिट्टी और … Read more
वर्ष में 4 नवरात्रि आती है जिनमें 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं। जिसमें एक गुप्त-नवरात्रि शुरू हो रही है 30 जनवरी 2025 से। माघ नवरात्रि, जिसे गुप्त नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है, नौ दिनों की होती है जो शक्ति या माँ देवी के नौ रूपों को समर्पित है। यह जनवरी या फरवरी … Read more
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अध्याय 5 में देवी सरस्वती का स्तोत्र वर्णित है जो कि इस प्रकार है: ऋषिप्रवर भगवान् नारायण कहते हैं – नारद! सरस्वती देवी का स्तोत्र सुनो, जिससे सम्पूर्ण मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। प्राचीन समय की बात है – याज्ञवल्क्य नाम से प्रसिद्ध एक महामुनि थे। उन्होंने उसी स्तोत्र से भगवती सरस्वती की … Read more
ब्रह्मवैवर्त पुराण के चौथे अध्याय के अनुसार कण्वशाखा में सरस्वती पूजन की विधि वर्णित है। माघ शुक्ल पञ्चमी विद्यारम्भ की मुख्य तिथि है। उस दिन पूराह्नकाल में ही प्रतिज्ञा करके संयमशील एवं पवित्र हो, स्नान और नित्य-क्रिया के पश्चात् भक्तिपूर्वक कलशस्थापन करे। फिर नैवेद्य आदि से इन छः देवताओं का पूजन करें। पहले गणेश का, … Read more
अग्निपुराण के 276वें अध्याय के अनुसार महर्षि कश्यप वसुदेव के रूप में अवतीर्ण हुए थे और नारियों में श्रेष्ठ अदिति का देवकी के रूप में प्राकट्य हुआ था। वसुदेव और देवकी से भगवान् श्रीकृष्ण का प्रादुर्भाव हुआ। वे बड़े तपस्वी थे। धर्म की रक्षा, अधर्म का नाश, देवता आदि का पालन तथा दैत्य आदि का … Read more
वराह पुराण के अनुसार अध्याय 64 के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की जो अष्टमी तिथि में भगवान् श्रीहरि की पूजा का विधान है। मन में ऐसी भावना करे कि भगवान् नारायण कृष्णरूप धारण करके माता की गोद में बैठे हैं। माताओं का समुदाय उनकी सब ओर से शोभा दे रहा है। अष्टमी की प्रातःकालीन … Read more
अग्नि पुराण के 38वें अध्याय के अनुसार जो मनुष्य देवता के लिए मंदिर-जलाशय आदि के निर्माण कराने की इच्छा करता है, उसका वह शुभ संकल्प ही उसके हजारों जन्मों के पापों का नाश कर देता है। जो मन से भावनाद्वारा भी मंदिर का निर्माण करते हैं, उनके सैकड़ों जन्मों के पापों का नाश हो जाता … Read more